शरद पूर्णिमा को हमारे धर्म ग्रंथो मे बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है ।इस दिन छितिज पर चांद बहुत ही प्रभावी होता है । सनातन धर्म मे चांद पर आधारित अनेक उत्सव एवं पर्व मनाने की परंपरा है । ज्योतिष शास्त्र मे चन्द्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है ।सनातन के अतिरिक्त अन्य मजहब मे भी चन्द्रमा का उच्च स्थान माना जाता है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चन्द्रमा का पृथ्वी के जीवों के उपर किसी न किसी रूप मे अवश्य प्रभाव पडता है । समुद्र मे आने वाले ज्वार भाटा भी चन्द्रमा के कारण ही आता है यह बात स्पष्ट है । इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि चन्द्रमा का प्रभाव हमारे मन पर अवश्य पडता है ।विभिन्न शोधो से प्रमाणित हो चुका है कि सर्वाधिक आत्महत्या की घटनाएं पूर्णिमा के दिन ही होती हैं ।अतः चन्द्रमा का हमारे जीवन मे महत्वपूर्ण स्थान है । आयुर्वेद मे शरद पूर्णिमा की रात का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है । आयुर्वेद के अनुसार शरदपूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणों से परिपूर्ण खीर को खाने से अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को सौभाग्य की प्राप्ति होती है । हिन्दू धर्म शास्त्रों मे शरद पूर्णिमा को कौमुदी पूर्णिमा , कोजागरी पूर्णिमा , तथा रास पूर्णिमा भी कहते हैं । शास्त्रों मे वर्णित है कि इसी रात श्री कृष्ण ने महारास रचाया था इसी लिये इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं । शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इस रात को चन्द्रमा अमृत की वर्षा करता है यही कारण है कि उत्तर भारत मे प्रचलन है कि खीर बनाकर खुले स्थान पर रख दिया जाता है जिससे रातभर चन्द्रमा की किरणें उस पर पडती रहती हैं और सुबह उस खीर को खा लेने से विभिन्न रोगों से मुक्ति मिल जाती है और मनुष्य दिर्घायु प्राप्त कर लेता है । मान्यता है कि च्यवन ऋषि को औषधि एवं आयुर्वेद की जानकारी अश्विनी कुमारों ने ही दिया था । हजारों सालों से यही परम्परा आज भी प्रचलन मे है । अश्विनि कुमारों को आरोग्य का दाता कहा जाता है ।और चन्द्रमा को अमृत का स्रोत माना जाता है अतः शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणें अमृत वर्षा करती हैं । शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी नारायण , शिव पार्वती एवं राधा कृष्ण की पूजा भी चन्द्रमा के साथ की जाती है । और इस दिन खीर के खाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा कुण्डली मे चन्द्रमा की स्थिति मजबूत होती है । जिनकी कुण्डली मे चन्द्रमा कमजोर है उसकी स्थिति मजबूत हो जाती है ।आयुर्वेद के मतानुसार इस दिन खीर खाने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता मे वृद्धि होती है और अनेक रोगों से मुक्ति मिल जाती है । 2024 मे शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को मनाया जायेगा ।