पूर्वोत्तर राज्य असम लम्बे समय से रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढती संख्या से संकट मे है । इन घुसपैठियों के कारण राज्य की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है । इनकी तेजी से बढती संख्या जहां असम की सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरा बनती जा रही है वहीं राज्य की कानून व्यवस्था के लिये भी बडी चुनौती बनी हुयी है । राज्य के नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के किनारे बसी हुयी इन घुसपैठियों की अवैध बस्तियां राज्य एवं देश की सुरक्षा के लिए बडी चुनौती बनी हुयी है । इन पर यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय मे देश के लिये घातक सिद्ध हो सकताहै । हालांकि असम मे अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंताविश्वशर्मा ने कठोर कार्यवाही करनी शुरू कर दी है । पिछले दिनों असम के बारपेटा मे अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों को डिटेंशन सेन्टर मे भेज दिया गया है । असम के मुख्यमंत्री ने फारेनर्स ट्रिब्यूनल द्वारा पुष्टि किये जाने के बाद यह कार्यवाही की है । जिन 28 लोगों को डिटेंशन सेन्टर भेजा गया है उसमें 19 पुरूष और 9 महिलाएं हैं । इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मुहिम आगे भी चलती रहेगी । हालांकि राज्य मे एन आर सी कोर्ट के आदेश के बाद लागू है पर घुसपैठियों की पहचान करके उन्हें चिन्हित करना एकबडी चुनौती है । स्थानीय लोगो का समर्थनः इन विदेशी नागरिकों को एक साजिश के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों मे बसाया जा रहा है इसमें स्थानीय लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है । इन स्थानीय लोगों द्वारा एक ही सम्प्रदाय के लोगों को देश मे लाया जाता है और अवैध रूप से इनका दस्तावेज तैयार किया जाता है । और इन्हें भारतीय नागरिक बना दिया जाता है । पूरे राज्य को लम्बे समय से मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बनाने की मुहिम चलायी जा रही है । कांग्रेस की सरकार के समय तुष्टिकरण की राजनीति के कारण इस तरह के प्रयासों को बल मिला और स्थिति भयावह होती चली गयीं । राज्य सरकार के एक आंकड़े के अनुसार असम मे रहने वाले 40 लाख लोगो के पास नागरिकता नहीं है । नेशनल सीटिजन रजिस्टर के अन्तर्गत ही विदेशी नागरिकों की पहचान करके उन पर कार्यवाही की जाती है । असम मे जब नेशनल सिटीजन रजिस्टर मे 3.79 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था । परन्तु जब फाइनल लिस्ट जारी हुयी तो उसमे 2.89 करोड लोगों का नाम था । भारत बांग्लादेश से 4100 की मी की सीमा साझा करता है । जिसमें असम की ,बंगाल ,त्रिपुरा,मिजोरम ,और मेघालय की सीमाएं वांगलादेश से लगती हैं । इन सारे राज्य घुसपैठ की समस्या से जूझ रहे हैं । कार्यवाई पर राजनीति ःः इस राष्ट्रीय समस्या को गंभीरता से लेते हुये मुख्यमंत्री हेमंताविश्वशर्मा ने भी कमर कश ली है । पिछले दिनों उन्होंने बयान दिया कि मियां मुसलमानों को अवैध रूप से देश मे रहने नहीं देंगे । उसके बाद से ही धर्म की राजनीति तेज हो गयी और 28 लोगों को डिटेंशन कैम्प मे भेजे जाने के बाद कुछ राजनीतिक दल ,मुस्लिम धर्म गुरु और तमाम मुस्लिम संगठनों के लोग विरोध मे उतर आये और सरकार को आंदोलन की धमकी देने लगे । दरअसल राज्य सरकार का तर्क है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण कानून व्यवस्था कायम रखना बडी चुनौती बन जाती है क्योंकि इनके द्वारा जातीय संघर्ष तथा आपराधिक घटनाये बढ जाती है ।इसके अतिरिक्त क्षेत्र की डेमोग्राफी बदलने लगती है और इस समुदाय के लोग हिंंसक कृत्य करने लगते हैं । जो राज्य के लिये चिंता का विषय है । परन्तु राजनीतिक लोग अपने लाभ के लिए तुष्टिकरण का खेल खेलने लगते हैं । असम की तर्ज पर अन्य राज्यों मे भी इस तरह की कार्यवाईयां तेज कर दी गयीं हैं । गुजरात और उडीसा मे भी अवैध रूप से निवास करने वालों को चिन्हित किया जा रहा है । उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री तो इस समस्या पर पहले ही मुखर हैं । परन्तु देश हित के इस मुद्दे पर राजनीति दुखद है ।द