Monday, December 23, 2024
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बंगाल को जलाने की घातक राजनीति

 

 

 

 

एक कथन तो सबने सुनी होगी कि ” जब रोम जल रहा था ,तो नीरो बंशी बजा रहा था ”  यही दृश्य आज बंगाल मे दिखाई दे रहा है  पिछले तीन हफ्ते से बंगाल जल रहा है और राजनीतिक दल उस आग मे अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रही हैं । देश को हिला देने वाली  (महिला ट्रेनी डाक्टर की रेप के बाद हत्या) की घटना के विरोध मे जनता, डाक्टर ,और अनेक संस्थाएं सडक पर  हैं परन्तु बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं महिला हो कर भी संवेदनहीनता का परिचय देते हुए आरोपियों को बचाने मे जी जान से लगी हुयी हैं राजनीति का इतना  घिनौना चेहरा शायद कम ही देखने को मिले । पूरे घटनाक्रम मे बंगाल पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे मे है सुप्रीम अदालत की गंभीर टिप्पणी एवं सरकार को फटकार लगाने के बाद भी  सरकार द्वारा पुलिस प्रमुख को न तो हटाना और न ही कोई कार्यवाही करना राजनीतिक बेशर्मी की पराकाष्ठा है । बंगाल की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है । सामप्रदायिकता चरम पर है सामाजिक तानाबाना तुष्टिकरण के कारण छिन्नबिन्न हो चुका है और बंगाल की मुख्यमंत्री अपनी सत्ता लोलुपता के कारण पूरे बंगाल को देश विरोधी केन्द्र बनाने पर आमादा हैं ।  दिलचस्प तथ्य तो यह है कि कोई भी राजनीतिक दल बंगाल की स्थिति पर चिंता जाहिर करने एवं बंगाल सरकार की आलोचना करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है  देश की ऐसी शर्मनाक दशा इससे पहले कभी नहीं देखी गयीं ।                                            अपराजिता ऐन्टी रेप बिल ःः                                 मुख्यमंत्री मंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल विधानसभा मे अपराजिता बिल लेकर आयीं और उसे पास करवाया  यह एक ऐन्टी रेप बिल है जिसमें आरोप सिद्ध होने पर सजा के कठोर प्रावधान रखें गये हैं । ममता बनर्जी द्वारा इस तरह के बिल लाना भी उनकी रणनीति का हिस्सा है  अपने विरूद्व प्रदेश मे हो रहे विरोध एवं सडकों पर उतरी जनता का ध्यान भटकाने के लिये ममता ने इस बिल के सहारे नया दाव चला है ।वास्तव मे बंगाल मे हुये ट्रेनी डॉक्टर की व्यभिचार के बाद से हत्या के बाद उपजे जनाक्रोश को देखते हुये सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संग्यान लेते हुये सुनवाई करते हूये बंगाल की मुख्यमंत्री और बंगाल पुलिस की भूूमिका पर सवाल खडे करते हुये फटकार लगायी थीं । आरोपों से बौखलाई ममता बनर्जी ने कलकत्ता के पुलिस  प्रमुख सहित आरोपीयो के बचाव मे उतर आयीं । दूसरी बात केन्द्र सरकार पर भी राज्य सरकार को भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए दबाव बढ गया था । केन्द्र सरकार ममता बनर्जी की चाल समझ रही थी कि ममता बनर्जी इस पूरी लडाई को ममता बनाम भाजपा करना चाहती है इस लिए केन्द्र सरकार शांत रही और ममता बनर्जी अपनी ही जाल मे फंसती जा रही थी और जनता का आक्रोश बढता देख इस बिल के सहारे यह संदेश देना चाहती हैं कि वह इस मामले मे कितना संवेदनशील हैं ।                                   देश मे पहले से ही कठोर कानूनका प्रावधानः            देश मे महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या के संदर्भ मे पहले से ही कानून है ।इस मामले मे भी सी.बी.आई  जांच मे खुलासा हो गया कि मेडिकल कालेज का प्रिसिंपल ही मुख्य आरोपी है जिसे ममता बनर्जी और पुलिस बचाने का प्रयास कर रही है ऐसे मे प्रश्न उठना  स्वाभाविक  है कि जब पुलिस जांच मे आरोपी बनायेगी ही नही तो सजा कैसे मिलेगी ।वास्तविकता यह है की पूरे मामले मे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिर्फ राजनीति कर रही हैं । न तो उन्हें मृतक डॉक्टर से कोई हमदर्दी है न तो पीडित परिवार से । और ममता के साथ विपक्ष के सारे दल ममता के साथ हैं । बच्चीयों के साथ बीभत्स घटना को भी ये सारे दल नफा और नुकसान के तराजू से तौलते हैं ।                                  फिलहाल देश के सबसे बडे और पुराने दल कांग्रेस सहित सभी क्षेत्रीय दलों का मुखौटा उतर गया है  जनता के समक्ष ये बेनकाब हो गये हैं  बंगाल के विधानसभा का चुनाव भी नजदीक है अब गेंद जनता के पाले मे होगी और इन सबको एक परीक्षा देनी होगी ।

 

 

 

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