ओ
गीता मे भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था हे पार्थ जब यह भूमि दुष्टों एवं पापियों के बोझ से कराहने लगती है तब उसे मुक्त कराने के लिए मुझे धरती पर अवतरित होना पडता है । यही कारण है कि जब धरती पर कंस की क्रूरता और अत्याचार बढ गया और आम जन त्राहि त्राहि करने लगे तो द्वापर के अन्त मे भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र मे रात के 12 बजे भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप मे अवतरित हुये । यहां यह समझ लेना आवश्यक है कि भगवान मानव की तरह जन्म नही लेते बल्कि अवतरित होते हैं । कंस के कारागार मे अवतरित होकर भगवान ने संदेश दे दिया कि उनके आने के साथ ही कंस के जाने का समय आ गया है । प्राचीनकाल से हमारे देश मे इस तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप मे मनाया जाता है । पूरे देश मे यह पर्व हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है ।
भगवान कृष्ण के जन्म की कहानी निस्संदेह अविश्वसनीय रूप से आकर्षक और रोमांचकारी है। उनका जन्म कृष्ण पक्ष या क्षीण चंद्र चरण के दौरान अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म भाद्रपद के महीने में हुआ था। परिणामस्वरूप, इन ज्योतिषीय गणनाओं का उपयोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तिथियों और समय को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। वह रक्षक हैं जो दुनिया को अधर्म और उसके अनुयायियों द्वारा नष्ट होने से बचाते हैंं
कंस को उसके सभी बुरे कर्मों के कारण कृष्ण ने मार डाला था। इसलिए जब भी दुनिया में अराजकता और आतंक का बोलबाला होता है, भगवान विष्णु धर्म के शासन को बहाल करने के लिए धरती पर विभिन्न अवतार लेते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व बहुत शुभ और कल्याणकारी योग मे मनाया जायेगा । अर्थात 26 अगस्त 2024 जन्माष्टमी मनायी जायेगा और इस बार जन्माष्टमी पर वही योग बन रहे हैं जो भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण के समय बने थे । यह पर्व भारत के साथ साथ विश्व के अनेकों देशों मे मनाया जाता है । यह बात सर्व विदित है कि आज भगवान श्री कृष्ण के गीता के ग्यान को पूरा विश्व अपने लिए कल्याण कारी मानता है यहां तक कि मुस्लिम संप्रदाय के भी क ई लोग गीता के प्रति आस्था रखते हैं और इसे मानव सभ्यता के लिए कल्याणकारी मानते है। यह हमारे लिये गौरव की बात है ।कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा आराधना के द्वारा भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए की देश एवं देशवासियों का कल्याण हो ।