हिंदू धर्म मे वैसे तो अनेकों पर्व एवं त्योहार हैं जिनका विशेष महत्व है पर इनमें से नाग पंचमी एक अद्भुत पर्व है जिसमें सर्पों की पूजा की जाती है कहने और सुनने मे यह बहुत लोगों को हास्यास्पद लग सकता है परन्तु इसके विषय मे शास्त्रोक्त एवं वैज्ञानिक ढंग से सोचें तो य मानव कल्याण एवं जनकल्याण से जुडा एक अद्भुत पर्व है ।नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूरे देश मे किसी न किसी रूप मे मनाया जाता है । हमारे धर्म ग्रंथों एवं शाश्त्रो मे नाग लोक का वर्णन मिलता है और कहा जाता है पृथ्वी लोक के नीचे पाताल लोक और उसके नीचे नाग लोक स्थिति है इस लिये नागों को देवता के रूप मे पूजने का विधान है इसके अतिरिक्त देवों के देव महादेव के गले मे शुशोभित होने के कारण भी इसका महत्व काफी बढ जाता है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध से स्नान करा कर उनकी पूजा अर्चना की जाती है और परिवार की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है। श्रावण मास एक पवित्र एवं भगवान शिव का मास माना जाता है पूरे श्रावण मास मे भगवान शिव का पूजन एवं शिवलिंगों के दर्शन से मानव का कल्याण एवं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं चूंकि नाग भी भगवान शिव का आभूषण हैं इसलिए उनके पूजन से भी मानव जाति का कल्याण एवं उत्थान होता है । यह सर्वविदित है कि त्रेतायुग मे भगवान राम के अनुज लक्ष्मण भी शेष नाग के अवतार थे तथा भगवान विष्णु भी शेष नाग कि शैय्या पर लेटे हुए हैं । इससे हमें एक संदेश मिलता है की नाग मनुष्य योनि के लिए कितने पूजनीय हैं । इसके अतिरिक्त यदि विग्यान की दृष्टि से देखें तो सर्पों को मानव का मित्र कहा जाता है पर्यावरण के संतुलन मे इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है किसानों के खेत खलिहान मे फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों एवं जीव जंतुओं से रक्षा करने के कारण सर्पों को किसानों का मित्र कहा जाता है। सरकार ने भी नागो को विलुप्त जीवों की श्रेणी मे रखा है तथा इनके संरक्षण के लिए अनेक कदम उठाये हैं। हमारा सनातन धर्म बहुत वैज्ञानिक एवं तर्क संगत है ।हम प्रकृति के हर उस निर्माण का सम्मान करते हैं जो हमारे लिए उपयोगी और हमारे कल्याण के लिए हैं ऐसा अद्भुत धर्म कोई अन्य नहीं हैं ।हम बृक्षों जीव जंतुओं के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते है। इसी क्रम मे नागपंचमी के दिन नागों की पूजा की परंपरा को भी देखा जा सकता है ।