फिल्मी दुनिया की बेहद ग्लैमरस और खूबसूरत अभिनेत्री,जिसने एक दशक तक दर्शकों के दिलों पर राज किया तथा जिसे फिल्मी दुनिया मे मल्लिका ए हुश्न का खिताब हासिल था वह अपने असफल प्यार के कारण जीवन पर्यन्त अकेले ही रही । हम बात कर रहे हैं फिल्म अभिनेत्री सुरैय्या की । सुरैय्या अपने जमाने की एक ऐसी अभिनेत्री थी जिसका जादू दर्शकों के सिर चढ कर बोलता था । लोकप्रियता का आलम यह था कि उनके घर के सामने पुलिस फोर्स लगाना पडता था । एक बार त़ो ऐसा हुआ कि उनका एक फैन उनके दरवाजे पर बारात लेकर आ गया तथा साथ मे लाखों रूपये का आभूषण भी साथ ले आया । सुरैय्या की सफलता के अनेक किस्से फिल्मी दुनिया की फिजाओं मे गूंजती रहती हैं ।
सुरैय्या को अभिनय के साथ साथ गाने का भी शौक था वे फिल्मों मे गाने भी गाती थी अभिनय के साथ एक कलाकार तथा एक अच्छी सिंगर के रुप मे वह फिल्मी दुनिया मे स्थापित थीं। सिंगिंग मे उनकी कैरियर को उंचाई तक पहुंचाने मे संगीतकार नौसाद का बहुत बडा हाथ था ।नौशाद ने पहली बार उन्हें फिल्मों मे गाने का अवसर दिया। उनके सहयोग से उन्होंने कई वेहतरीन गाने गाये । फिल्म दास्तान, अनमोल घडी ,दर्द और दिल्लगी ने उनके कैरियर को बुलंदियों तक पहुंचाया । गाने मे उनके कैरियर की शुरूआत आल इंडिया रेडियो से हुआ ।आल इंडिया रेडियो मे सुरैय्या मदन मोहन और राज कपूर के साथ बच्चों का प्रोग्राम करती थीं। रेडियो मे उनके गाने सुनकर नौशाद इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी फिल्म शारदा मे पहली बार गाने का अवसर दिया फिर उनके गाने इतने लोकप्रिय हुए कि वह एक सिंगिग स्टार बन गयीं । गाने के साथ साथ वह फिल्मों मे अभिनय भी करती रहीं ।
सुरैय्या का जनम लाहौर मे 1929 मे हुआ था जब सुरैय्या एक वर्ष की थीं तभी उनका परिवार लाहौर से बम्बई आकर बस गया । सुरैय्या के मामा जहूर उन दिनों फिल्मों के मशहूर खलनायक थे । सुरैय्या जब बडी हुयी तो स्कूल से छुट्टी के कारण अपने मामा के साथ फिल्म की सूटिंग्स देखने गयीं । उस समय मोहन स्टूडियो मे फिल्म ताजमहल की सूटिंग होने वाली थी फिल्म के निर्देशक नानू भाई ने सुरैय्या को देखा तो उनकी सादगी तथा सुन्दरता से इतना प्रभावित हुये कि उन्होंने सुरैय्या को फिल्म मे मुमताज महल की भूमिका के लिये चयनित कर लिया ,इस तरह से सुरैय्या की फिल्मी दुनिया मे एन्ट्री हो गयीं । उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड कर नहीं देखा और एक से एक सफल फिल्में दी । जब वह अपने कैरियर की ऊंचाई पर थीं तभी उनकी मुलाकात फिल्म विद्या के सेट पर देवानंद से हुयी ।
धीरे धीरे वे देवानंद से प्यार करने लगीँ परन्तु असमान धर्म के कारण देवानंद उन्हें अपना नहीं सके इस घटना से सुरैय्या इतनी टूट गई की उन्होंने ताउम्र अकेले रहने का फैसला कर लिया तथा सारी जिन्दगी अकेली ही रही । उन्होंने 1963 के बाद से खराब स्वास्थ्य के कारण फिल्मों से दूरी बना ली ।सुरैय्या फिल्मी दुनियां की ऐसी हस्ती थींं कि देश मे उनके करोड़ों फैंस थे ।उनके घर के बाहर हमेशा चाहने वालों की भीड़ लगी रहती थी जिस कारण सिक्योरिटी के अलावा घर के बाहर पुलिस फोर्स तैनात करना पडता था ।इतना ही नहीं एक फैंन तो इनके सामने ही जहर खा लिया था और पुलिस हस्तक्षेप से मामला शांत कराना पडा था । सुरैय्या पूरी उम्र देवानंद से प्यार करती रही । सन2004 मे 74 वर्ष की उम्र मे उनका निधन ह़ो गया । उनके निधन पर पूरा वालीउड उमड पडा पर अफसोस यह कि देवानंद आखिरी बार भी देखने नही आये ।
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