Tuesday, December 24, 2024
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मायावती के नये तेवर का क्या है मतलब!

 

 

देश मे चल रहे लोकसभा चुनावों के बीच देश के सबसे बडे एवं सियासी रूप से अति महत्वपूर्ण राज्य उत्तरप्रदेश के एक सियासी घटनाक्रम ने प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों को चौंका दिया है तथा इसमें निहित राजनैतिक उद्देश्य की चर्चा जोरों पर है । दरअसल विगत दिनों बसपा सुप्रीमो मायावती ने अचानक अपने भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक एवं अपने राजनैतिक उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है ।ठीक चुनावों के बीच मायावती द्वारा किये गये इस फैसले को लेकर सियासी गलियारों मे चर्चा तेज हो गयीं है तथा इसके भी निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं कि इससे किसको नुकसान तथा किसे फायदा हो सकता है । गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो ने 2019के लोकसभा चुनावों के बाद अपने भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर एवं अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था तभी से आकाश बसपा के लिये पूरी जिम्मेदारी के साथ कार्य कर रहे थे । वर्तमान लोकसभा चुनावों मे भी आकाश आक्रामकता के साथ चुनाव प्रचार मे सक्रिय थे । आकाश के लिए पार्टी ने 21 रैलियां प्रस्तावित कर रखी थीं ।इन रैलियों मे उनके आक्रामक तेवर देखने को मिल रहे थे ।इसके अतिरिक्त राजनैतिक दलों पर विवादित  टिप्पणीयां भी उनके द्वारा की जाती रही । ऐसे ही विगत 28 अप्रैल को सीतापुर की एक जनसभा मे आकाश आनंद ने प्रदेश की योगी सरकार के विरूद्ध अपमानजनक टिप्पणी की थी  इन बयानों की शिकायत चुनाव आयोग से भी की गयीं , और चुनाव आयोग के निर्देश पर आकाश आनंद के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है ।                                                                आकाश आनंद का यही आक्रामक तेवर मायावती को पसंद नहीं आ रहा था ।प्रदेश मे बसपा अपनी एक अलग तरह की राजनीति करती है वर्तमान समय मे मायावती समाजवादी पार्टी को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानती हैं अपने फैसले से उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधे हैं । प्रदेश एवं देश मे भाजपा की सरकार बनने के कुछ समय बाद ही बसपा के तेवर ढीले पडने लगे । भाजपा के विरूद्ध उनकी आक्रामता गायब हो गयीं जबकि उनके उपर भाजपा को लाभ पंहुचाने का आरोप भी लगता रहा परन्तु भाजपा के प्रति उनकी नर्मी कायम रही ।  आकाश आनंद को हटाने के पीछे भी कहीं न कहीं यह भी एक कारण माना जा रहा है भाजपा पर विवादित टिप्पणी करना मायावती को पसन्द नहीं आया आकाश आनंद को हटाने के बाद मायावती ने कहा कि आकाश आनंद अभी राजनैतिक रूप से परिपक्व नही हैं पूरी तरह से परिपक्व होने तक उनको इन जिम्मेदारीयों से अलग किया गया है । इसके अतिरिक्त मायावती पर यह भी आरोप लग रहा है कि अपने कार्यकाल मे हुये घोटालों की जांच के डर से मायावती विपक्षी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनी तथा भाजपा के विरूद्ध नरम रूख अपना रही हैं ।       वास्तव मे मायावती एक कुशल राजनेता हैं और राजनीति को अच्छी तरह समझती हैं , वर्तमान समय मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जिस तरह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आक्रामक है वह क ई दलों को भयभीत कर रखा है । इसके अतिरिक्त मायावती जानती हैं कि भाजपा लगातार कांग्रेस एवं सपा पर परिवारवाद को लेकर आक्रामक है इस लिये अपने इस फैसले से वह यह संदेश देना चाहती हैं कि पार्टी के हित के लिए अपने परिवार पर भी कठोर निर्णय लेने मे भी वह पीछे नहीं हटती हैं ।  इन सब के अतिरिक्त चुनाव के बाद के परिदृश्य की कल्पना करके भी वह स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह किसी भी दल के साथ गठबंधन कर सकती हैं । अब मायावती के इस निर्णय के बाद किसको इसका लाभ मिलेगा तथा किसे नुकसान होगा वह तो 4 जून को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा ।

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