देश मे चुनावी सरगर्मी चरम पर है सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के सभी जतन कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 400 पार का नारा देकर लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं तो सबसे बडा विपक्षी दल कांग्रेस अपने अस्तित्व की लडाई लड रहा है । हालांकि सभी विपक्षी दल एक जुट होकर I.N.D.I.A गठबंधन के रूप मे सत्तारूढ दल भाजपा से लडाई लड रहे हैं इनमे अधिकतर क्षेत्रीय दल शामिल हैं जिनका प्रभाव भी सीमित क्षेत्रों तक ही है सबसे बडा और राष्ट्रीय दल कांग्रेस है जो इस गठबंधन का हिस्सा है परन्तु इसका प्रभाव क्षेत्रीय दलों से भी कमतर है । कांग्रेस की मुश्किल यह है की राहुल गांधी पार्टी के सर्वेसर्वा हैं पर एक कुशल नेतृत्व के रूप मे अपने को कभी स्थापित नहीं कर पाये । दूसरा कारण है कि राहुल गांधी वर्तमान समय मे वामपंथी विचारधारा से ईस कदर जकडे हुये हैं कि कांग्रेस की विचारधारा एवं सोच काफी दूर छूटतीं जा रही है । और लगातार कांग्रेस का पराभव होता जा रहा है और कांग्रेस की यह स्थिति भाजपा के लिये काफी सुखद है और उसका निरन्तर विस्तार होता जा रहा है ।वर्तमान चुनावों मे भी कमोबेश यही स्थिति है ।। गलत बयानबाजी से मुश्किल बढीःः गलत एवं नुकसानदेह बयानों ने कांग्रेस को निरंतर मुश्किल मे डालता रहा है , चुनाव के प्रारंभ मे प्रथम चरण के मतदान के समय राहुल ने एक ऐसा बयान दिया जिससे कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी, राहुल गांधी ने कहा कि हिंंदू धर्म मे एक शक्ति है उसी से वे लड रहे हैं । इस बयान को भाजपा ने खूब उछाला , और प्रथम चरण का चुनाव सम्पन्न हो गया ।इसी क्रम मे दूसरे चरण के चुनाव के बीच राहुल ने फिर बयान देते हुए कहा कि उनकी सरकार आने पर वे आर्थिक सर्वे करायेगे और अमीरों का धन गरीबों मे बांट देंगे । भाजपा ने इस बयान को जन जन तक पहुंचाया और देश मे आक्रोश के साथ दूसरे चरण का मतदान भी सम्पन्न हो गया । इसी तरह तीसरे चरण के मतदान के बीच राहुल गांधी एवं गांधी परिवार के वरिष्ठ राजनीतिक सलाहकार सैम पित्रोदा ने एक विवादित बयान देकर कांग्रेस को पुनः कठघरे मे खडा कर दिया । वर्तमान समय यानि कि चौथे चरण के मतदान के बीच सैम पित्रोदा ने एक ऐसा बयान दे डाला जिससे पूरे देश मे सनसनी फैल गयीं पित्रोदा के अनुसार भारत के उत्तरी क्षेत्र के निवासी चाइनीज तथा दक्षिण भारतीय साउथ अफ्रीकन हैं भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया और इसे कांग्रेस का विभाजनकारी नीति बताया । कांग्रेस के इन बयानों से कितना नुकसान हुआ यह तो 4 जून को मतगणना के बाद स्पष्ट होगा परन्तु इतना तय है कि इन बयानों से कांग्रेस ने स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है जानकारों का कहना है कि इस चुनाव के परिणाम भी कांग्रेस के पक्ष मे नहीं आने वाले । आज के समय एवं देश मे तीन चरण के मतदान सम्पन्न होने के बाद भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मजबूत स्थिति मे नजर आ रहे हैं । कांग्रेस के अपरिपक्व फैसले एवं उनके व उनके टीम की विवादित टिप्पणियों के कारण कांग्रेस का लगातार पतन होता जा रहा है और सत्तारूढ दल लगातार अपना प्रभाव बढाते जा रही है । हालांकि हाल के दिनों मे राहुल गांधी द्वारा किये गये यात्राओं के कारण देश के एक वर्ग मे उनकी स्वीकार्यता बढी थी परन्तू चुनाव आते आते इस तरह के बयानों ने उनकी सभी मेहनत पर पानी फेर दिया ।और देश की जनता यह मानने को मजबूर है कि राहुल गांधी एक अपरिपक्व राजनेता हैं । यही कारण है की देश की क्षेत्रीय पार्टियों के क्षत्रप भी राष्ट्रीय और सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस एवं राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करते हैं बावजूद इसके कि वे भी गढबंधन के हिस्सा हैं ।कांग्रेस यदि आत्ममुग्धता से बाहर निकल कर बामपंथियों एवं विवादास्पद टिप्पणीयों से दूर नहीं होती है तो उसकी पुनर्स्थापना सम्भव नहीं है ।