Tuesday, December 24, 2024
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सर्वाधिक शुभ मुहूर्त है अक्षय तृतीया

 

 

हिन्दू धर्म मे विभिन्न ब्रत त्योहारों एवं तिथियों का अपना अलग महत्व है तथा इसके पीछे छिपी वैज्ञानिकता भी समय समय पर प्रमाणित होती रहती है ।इसके अलावा यह शुभ तिथियां हमारे जीवन पद्धति का भी एक अंग हैं जिसका पालन कर हम जीवन को सकारात्मक दिशा की तरफ ले जाने मे सक्षम होते हैं ।इन्हीं शुभ तिथियों मे अक्षय तृतीया भी एक ऐसी ही शुभ तिथि है , बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही अक्षय तृतीया के रूप मे मान्यता प्राप्त है जैसाकि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि अक्षय यानी जिसका क्षय नहीं होता , इसका अर्थ है इस दिन किया गया धार्मिक कार्यं प्रभु स्मरण , दान ,पुण्य सब अक्षय होता है इस के अतिरिक्त भूमि भवन , वाहन , स्वर्ण आभूषण आदि भी खरीदने से हमारे संपत्ति की वृद्धि होती है चूंकि यह एक स्वंय सिद्ध मुहूर्त है अतः शादी विवाह आदि शुभ कार्यों के लिये किसी अन्य मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नहीं होती । बैसाख मास को हमारे धर्म शास्त्रों मे सबसे पवित्र मास माना गया है हमारे धर्म ग्रंथो मे दो ऋतुओं के संधि काल को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है और हिन्दू समाज दो ऋतुओं के संधि काल को किसी न किसी पर्व के रूप मे मनाता रहा है । इसपर अगर वैज्ञानिकता की बात की जाय तो  बसंत ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ के समय काल को चिकित्सकीय दृष्टि से अति संवेदनशील माना जाता है इस समय विभिन्न रोगों के कीटाणु मानव शरीर पर आक्रमण

करके उन्हें रोगी बनाते हैं  इस लिए यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है तो हम इनसे अपना बचाव कर लेते हैं । हमारा धार्मिक ग्रंथ शास्त्र ,वेद आदि सभी मे इन्हीं बातों को ध्यान मे रख कर इन शुभ तिथियों का निर्धारण किया गया है । अक्षय तृतीया भी एक ऐसी ही शुभ एवं पुण्य तिथि है जिसमे हम धन  संपत्ति आभूषण आदि की खरीदारी करके संपत्ति की वृद्धि करते हैं और इसके ,साथ ही ईश्वर स्मरण दान पुण्य एवं अन्य शुभ कार्य के द्वारा जीवन को अक्षय बनाने का प्रयास करते है । अपने शरीर मे उर्जा का संचय करके   ग्रीष्म ऋतु की भयावहता से शरीर की रक्षा करते हैं।          ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन से ही  सतयुग, त्रेतायुग , तथा द्वपर युग का आरम्भ हुआ था । अक्षय तृतीया के दिन ही नर नारायण का अवतार एवं परशुराम का जन्म हुआ था । इसके अतिरिक्त बद्रीनाथ धाम के कपाट भी इसी दिन खुलते हैं तथा वृंदावन मे बांके बिहारी के विग्रह के श्रीचरणों के दर्शन भी इसी दिन होते हैं । देश भर से करोड़ों लोग दर्शन करने वृंदावन पहुंचते हैं । हमारे धर्म मे अक्षय तृतीया को मनाने का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक उर्जा की प्राप्ति करना है ।

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