देश मे राम नवमी का पर्व प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है हमारे प्राचीन ग्रंथों मे वर्णित है कि इसी दिन अयोध्या मे श्री राम अवतरित हुए थे इसीलिए नवमी को राम के जन्म के रूप मे मनाने की परंपरा है । वैसे तो प्रतिवर्ष अयोध्या के साथ पूरे देश मे यहां तक की विदेशों मे भी राम नवमी को धूमधाम से मनाया जाता है परन्तु इस वर्ष देश मे एक अलग तरह का उत्साह है अयोध्या मे भी राम के जन्म को विशेष कार्यक्रमों के साथ मनाने की तैयारी की गई है । इसका कारण है लम्बी प्रतीक्षा के बाद और अदालती कार्यवाही के बाद इस वर्ष भगवान राम के दर्शन टेन्ट मे न होकर भगवान राम के भव्य मंदिर मे होगें यही कारण है कि पूरा देश देश इस उत्सव मे शरीक होने के लालायित है । ऐसा पहली बार होगा जब रामलला मंदिर मे विद्यमान होंगे । चूंकि राम इस देश के प्राण हैं। भारतवासियों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं भले ही उन्होने मनुष्य रूप मे जन्म लिया परन्तु उत्तम चरित्र और मर्यादा पूर्ण आचरण के कारण वह पुरूषों मे सर्वश्रेष्ठ थे इसीलिए उन्हें पुरूषोत्तम कहा गया । उन्होंने कभी मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया उनकी नीति प्रजा के कल्याण के लिए अपनी इच्छाओं का दमन करना पर आधारित थी शायद इसीलिए रामराज्य की कल्पना को बल मिला। राम ने समाज के अतिवंचित समाज के निषादराज को सम्मान देकर यह संदेश दिया समाज मे विभेद से कभी मनुष्य का कल्याण नहीं हो सकता । इसके अतिरिक्त लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए बन्दर भालू की सेना का साथ लेने का तात्पर्य यह था की आने वाले युगों मे आम जनमानस के मन मे श्रद्धा उत्पन्न हो की भगवान राम के उक्त कार्यं मे बानरों एवं भालुओं ने सहयोग किया था इस लिए वे भी हमारे लिये उतने ही पूजनीय हैं । राम ने कभी अपने लिए नही जिया दूसरों की संतुष्टि से वे स्वयं संतुष्ट होते थे । भारत के रोम रोम मे बसने वाले राम प्राण वायु हैं दैनिक अभिवादन से लेकर जीवन के अंत समय तक प्राणियों के साथ रहने वाले राम ही हैं ।और शबरी के जूठे बेर हों या सुग्रीव की मित्रता राम ने अपनी भूमिका के साथ अन्याय नहीं होने दिया। यही कारण है इश्वरीय परिकल्पना मे सर्वप्रथम राम का विग्रह ही चेतना मे स्पष्ट होता है । रामनवमी मे आज देश मे जो उल्लास है उसे देखकर यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है की भारत के जनमन मे राम की क्या महत्ता है । कुछ ऐसे लोग भी हैं जो राम को कल्पना मात्र मानते हैं उनका मानना है की राम तुलसी और बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के काल्पनिक पात्र है इस पर यह कहा जा सकता है कि अगर यह मात्र कल्पना भी है तो दुनिया की सर्वश्रेष्ठ और आनंदमयी कल्पना है जिसमें विश्व कल्याण का अनेकों और अद्भुत संदेश छिपा है । इसी तुलसीदास ने कहा है कि – हरि अनंन्त हरी कथा अनंन्ता