हाथरस मे पिछले दिनों नारायण हरी उर्फ भोले बाबा के सतसंग मे भगदड के दौरान लगभग 125 लोगों की मौत से समूचे देश मे हाहाकार मच गया शवों को लेकर रोते बिलखते परिजनों को देखकर समूचा देश विचलित हो गया । चारों तरफ चित्कार एवं मातम ने मानवता को कलकित कर दिया । आखिर उनका कसूर क्या था कि आस्था उन पर भारी पड गया । और सबसे बडा प्रश्नचिन्ह उस बाबा पर जो अपने सत्संग के दौरान ह्रृदय विदारक दृश्य देखने के बावजूद रोते बिलखते परिवारों को ढाढस बंधाने के बजय वहां से फरार हो गया । प्रश्न यह भी कि यह कैसा सत्संग जहां संवेदना की कोई जगह नहीं निश्चित ही यह कोई धार्मिक कृत्य नहीं हो सकता । सबसे बडा प्रश्न यह कि इतने बडे हादसे का कसूरवार कौन है क्या वह बाबा जिसे यह पता था कि सत्संग के उस आयोजन मे लाखों की भीड़ हो सकती है बावजूद इतने लोगों की सुरक्षा की कोई ब्यवस्था बाबा की तरफ से नहीं की गयीं क्या सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं थी कि इतने लोगों के एक जगह एकत्रित होने की सूचना के बाद सुरक्षा के बंदोबस्त किये जाने चाहिए थे ? यह यक्ष प्रश्न आज भी अनुत्तरित है । हालांकि प्रदेश की योगी सरकार ने पूरी दुर्घटना की जांच के लिए एस आई टी का गठन एवं हादसे के न्यायिक जांच के आदेश दे दिये हैं ।
- कौन है बाबा नारायणहरी उर्फ भोले बाबाःःबाबा नारायणहरी उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है सूरज पाल कासगंज जिले के बहादुरगढ का निवासी है । सूरजपाल पूर्व मे उत्तरप्रदेश पुलिस मे नौकरी करता था , पुलिस मे नौकरी के दौरान यौनशोषण के आरोप मे वह जेल चला गया। जेल से छूटने के बाद उसने पुलिस विभाग से स्वैच्छिक सेवानृवित्ति ले ली और धार्मिक आयोजन ऐझकरने लगा इसके लिए उसने कुछ एजेंट नियुक्त कर रखें थे जो गांव गांव जाकर सूरजपाल की सिद्धी की चर्चा करते और आयोजन मे आने के लिए प्रेरित करते थे ।धीरे धीरे सूरजपाल का धन्धा चल पडा उसके आयोजनो मे लोगों की भीड बढने लगी उसके एजेंट लोगों के बीच मे प्रचारित करने लगे कि बाबा के हाथ की उगलियों मे शंख एवं त्रिशूल के निसान है और वह भगवान विष्णु के अवतार हैं इसी के साथ सूरजपाल ने अपना नाम नारायण हरी रख लिया और लोग उसे नारायण हरि उर्फ भोले बाबा के नाम से जानने लगे । सूरजपाल उर्फ नारायण हरी के पास आने वाले अनुनायियों मे अधिकतर पिछडे एवं दलित समाज के लोग थे । सूरजपाल स्वयं झंझट जाटव समाज का ही है ।धीरे धीरे प्रदेश के बाहर भी इसकी पैठ होने लगी , बाबा ने उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश, राजस्थान मे दर्जनों भव्य आलीशान एवं महल जैसे आश्रम बनवाये इसके अतिरिक्त उसने 100 की संख्या मे नीजि ब्लैक कैट कमाण्डो नियुक्त कर रखें थे साथ ही 5000 के लगभग उसकी निजी सेना थी जिसका नाम उसने नारायणी सेना रखा हुआ था । उसके आश्रमो मे महिलाओं की भी फौज होती थी जो विभिन्न तरह से उसकी सेवा किया करती थींं । महिलाए बाबा को दूध से नहलाती थी फिर उसी दूध से खीर बनाकर प्रसाद के रूप मे भक्तों मे वितरित किया जाता था । बाबा ने अपने आश्रम मे चार हैंडपंप लगा रखे थे तथा दावा करता था इसका पानी पीने से चार तरह की गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है । इस तरह का है बाबा का मायाबालोक । राजनेताओं से निकटताःः जैसे जैसे बाबा के भक्तों की संख्या बढने लगी वैसे वैसे राजनीतिक दलों एवं राजनेताओं से बाबा की निकटता बढती गयीं । कहा जाता है कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव बाबा के आश्रम आये थे और उनकी प्रशंसा भी की थी । यही कारण है कि इतना बडा हादशा होने के बाद भी कोई राजनीतिक दल एवं राजनेता बाबा के विरूद्ध एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है । सबको अपने वोट बैंक की चिंता है यहां तक की प्रदेश की योगी सरकार भी बाबा पर सीधी कार्यवाही से बचती दिख रही है ऐसा इस लिए है कि पश्चचिमी उत्तर प्रदेश के अधिकाश जिलों मे बाबा का अत्यधिक प्रभाव है तथा वहां के पिछडे एवं दलित भारी संख्या मे बाबा के अनुयायी हैं ।इसी लिए हादसे का शिकार हुये उन 125 परिवारों का दर्द इनके कानो तक नहीं पहुंचती ।बाबा के मायालोक के बारे मे हुये तमाम खुलाशे होने के बावंजूद कोई भी बाबा की आलोचना करने को तैयार नहीं हैं इन सबकी संवेदनाये या तो मर गयी हैं या इनके अंदर साहस नहीं हैं ःः
राजनीति कार्यवाही मे बडी बाधकः सियासी दल इस गंभीर विषय पर चुप्पी साधे हुये है ईसी लिये पुलिस आज तक बाबा के निकट पहुचने मे असमर्थ दिखाई दे रही है राज्य सरकार भी कार्यवाई करने से बच रही है और बाबा गूनहगार हो कर भी गुनहगार नहीं सावित हो पा रहा है ।
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