भारतीय सिनेमा की पहली सुपर स्टार अभिनेत्री जो फर्स्ट लेडी और ड्रैगन लेडी के नाम से मशहूर थी जो वालीउड की सबसे ज्यादा पढी लिखी और खूबसूरत अभिनेत्री थी ।हम बात कर रहे हैं 1930, 1940 के दशक की बोल्ड अभिनेत्री देविका रानी की । देविका ने फिल्म इंडस्ट्री मे उस समय कदम रखा जब लोग फिल्मों मे काम करने वाले को अच्छी निगाहों से नहीं देखते थे तथा अक्सर महिला किरदार तवायफें करती थी या फिर महिलाओं के वेष मे पुरूष कलाकार किरदार निभाते थे ।ऐसे समय देविका रानी फिल्मों मे कदम रख अपने बोल्ड सीन और खूबसूरत अदाकारी से सिने जगत मे धूम मचा दी थी । देविका रानी का जन्म विशाखापत्तनम के वाल्टेयर मे हुआ था उनके पिता का नाम कर्नल एम .एन चौधरी था वह मद्रास मे देश के पहले सर्जन जनरल थे , उनकी माता का नाम लीलावती चौधरी था । अभिनेत्री देविका रानी रविन्द्रनाथ टैगोर की वंशज थीं ।पिता ने उन्हें कम उम्र मे ही पढाई के लिये लंदन भेज दिया था । लंदन मे उन्होंने एकेडमी आफ ड्रामेटिक आर्ट और एकेडमी आफ म्यूजिक मे शिक्षा ग्रहण किया । वहां से उन्होंने आर्किटेक्चर, टेक्सटाइल, एवं डेकोर डिजाइन की शिक्षा ग्रहण की ।पढाई के लिये वहां उन्हें स्कालरशिप भी प्रदान किया गया । उन्हीं दिनों उनकी मुलाकात प्रसिद्ध फिल्म निर्माता हिमांशु राय से हुयी ,उन दिनों हिमांशु जर्मनी मे एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे उसी सिलसिले मे वे लंदन आये हुये थे ,।हिमांशु ने देविका रानी को अपने एक प्रोजेक्ट के लिए हायर कर लिया । साथ काम करने के दौरान दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे । कुछ समय बाद हिमांशु और देविका ने एक दूसरे से शादी कर ली ।शादी के बाद हिमांशु देविका को लेकर स्वदेश वापस लौट आये । बाम्बे आकर हिमांशु और देविका ने बाम्बे टाकीज का निर्माण किया । बाम्बे टाकिज भारत का पहला फिल्म स्टूडियो था जो कि जर्मनी से मंगाये गये आवश्यक एवं आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित था । उस समय अशोक कुमार , दिलीप कुमार , मधुबाला जैसे कलाकार बाम्बे टाकिज से जुड़े हुये थे ।उन दिनों हिमांशु राय देविका रानी को लेकर फिल्म कर्मा का निर्माण कर रहे थे । 1933 मे फिल्म कर्मा परदे पर आई और हिट हो गई देविका रानी के काम को दर्शकों ने खूब सराहा और उन्हे स्टार कलाकार कहने लगे और देविका रानी भारतीय सिनेमा की पहली महिला सुपर स्टार बन गयीं । देविका और हिमांशु राय के सपने बाम्बे टाकिज मे अछूत कन्या ,मेला , किस्मत और शहीद जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों का निर्माण हुआ था । 1940 मे हिमांशु राय की मृत्यु होगयी और देविका अकेली हो गयीं । स्टूडियो के सभांलने मे भी दिक्कत हो रही थी।इसका कारण था सभी पुराने लोग बाम्बे टाकिज छोड़ कर नव निर्मित फिल्म स्टूडियो फिल्मिस्तान की तरफ रूख करने लगे थे ।देविका स्टूडियों संभाल नहीं पायींं ।उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्म अछूत कन्या थी उसमे अछूतकी ब्राह्मण लडके से प्रेम को दर्शाया गया है । देविका रानी इतनी बोल्ड थी कि उन्होंने फिल्म जगत के इतिहास का सबसे लम्बा 4 मिनट का किसिंग सीन शूट कर सनसनी फैला दी थी । 1945 मे देविका ने स्वेतोस्लाव रोरिक नामक एक रूसी चित्रकार से दूसरी शादी की और बैंगलोर को अपना अंतिम ठिकाना बनाया। 1958 मे राष्ट्रपति द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया तथा 1971 मे दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1993 मे उनकी मृत्यु हो गयीं । उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया ।