Monday, December 23, 2024
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भारत की शानदार कूटनीति से घुटनों पर आया मालदीव

 

 

 

  1. भारत  की शानदार कूटनीति से चीन को पीछें करके भारत की गोद मे आ बैठा मालदीव । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने कूटनीतिक चातुर्य ने एक बार पुनः चीन को पटखनी देते हुये मालदीव को घुटनों पर ला दिया ,अब मालदीव को समझ मे आ गया कि भारत से रिश्ते बेहतर होने से ही उनके देश के लिये बेहतर स्थिति बन सकती है ।चीन के प्रभाव मे आकर उनके द्वारा लिए गये फैसले उनके  देश के लिए उचित नहीं थे इसका एहसास अब मालदीव को होने लगा है ।                                        मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोईजू सत्ता मे आने से पूर्व अपने देश मे भारत के विरोध मे माहौल तैयार करने मे कोई कोर कसर नहीं छोडी ।उन्होंने अपने अवाम को लगातार समझाते रहे कि भारत मालदीव मे अनावश्यक हस्तक्षेप करता है और हमारे आवश्यक संसाधनों पर कब्जा करना चाहता है उन्होंने अपनी जनता को आश्वासन दिया कि अगर वे सत्ता मे आये तो भारत को देश के बाहर कर देंगे उन्होंने आउट इंडिया का नारा भी दिया ।दरअसल मोईजू चीन के सब्जबाग दिखाने एवं उसके बहकावे मे आकर भारत का विरोध करने लगे ।मालदीव की जनता उनके दुष्प्रचार से भ्रमित हो कर उन्हें सत्ता तक पहुंचा दिया ।                                                 चीन के इशारे पर भारत का विरोधः सत्ता मे आने के बाद मोइज्जू सर्वप्रथम चीन और तुर्की का दौरा किया ।चीन द्वारा पैसों का लालच देकर मालदीव से भारत को बाहर करने व उसका प्रभाव कम करने को कहा गया । उसके बाद मोइज्जू ने भारत पर आरोप लगाया कि भारत द्वारा मालदीव को चिकित्सकीय सहायता के लिए दिये गये डोर्नियर एयरक्राफ्ट  के जरिये उनके क्षेत्र की निगरानी करता है और ह र एक गतिविधियों पर नजर रखता है तथा एयरक्राफ्ट के संंचालन मे लगे अपने सैनिकों द्ववारा उनकी जासूसी करवाता है उन्होंने भारतीय सैैनिकों को मालदीव से बाहर जाने को कहा । भारत ने मोइज्जू के इस रवैये के कारण सैनिकों को वापस बुुुलालिया, चूंकि मालदीव मे भारतीय डोर्ननियर एयरक्राफ्टों को उडाने की क्षमताा न होने के कारण मानवीय आधार पर चि कित्सकीय सेवा हेतु दिये गये सभी   डोर्नियर एयरक्राफ्ट खडे हो गये । मालदीव की जनता को  चिकित्सकिय सहायता न मिलने से मौतें  होने लगींं।                                                                        मोइज्जू का ह्रदय परिवर्तन ःः   अब अचानक मोइज्जू को भारत की याद आने लगी और भारत से सम्बन्ध बनाने के लिए बेताब दिखने लगे ।पर ऐसा क्या हुआ कि मोइज्जू का ह्रदय परिवर्तन हो गया और उनके सुर बदल गये । इसके प्रमुख तीन कारण है जिससे मोइज्जू को यह एहसास हुआ कि भारत के बगैर उनका गुजारा होना मुस्किल है ।                                               पहला कारण यह है कि मालदीव मे खडे भारतीय डोर्नियर एयरक्राफ्टों को उनके सैनिकों द्वारा न उडा पाने के कारण नागरिकों को चिकित्सकीय सहायता न मिलने के कारण तमाम लोगों की मौत हो गई इससे घबरा कर म़ोइज्जू ने भारत से आग्रह किया कि उनकी इस सेवा को बहाल करने के लिये अपने चालकों को भेजने की कृपा करें मालदीव के आग्रह पर भारत ने अपने एविएशन स्टाफ भेज कर सेवायें शुरू करवा दी इस कारण मोइज्जू के तेवर ढीले पडने लगे ।                                               दूसरी बात मालदीव ने चीन से फ्री ट्रेड शुरु करने की अपील की जिसे चीन नेे मान लिया ,हालांकि  उन्होनें भारत से भी यह अपील की थी परनतु भारत ने इंकार कर दिया । अब अगर मालदीव से चीन सामान भेजा जाता तो उसमे 10 दिन से ज्यादा का समय लगता और किराया भी बहुत ज्यादा लगता जबकि भारत मे सामान एक दिन मे ही पहुंच जाता है इसी कारण मालदीव को भारत की याद आने लगी और मोईज्जू को भारत की याद आने लगी ।                                                            तीसरा जो सबसे महत्वपूर्ण कारण था कि मालदीव को पता था भारत अपने बजट मे अपने सभी पडोसी मुल्को को आर्थिक सहायता देने का प्रावधाान रखता है जिसमे अन्य देशों के साथ मालदीव भी शामिल है भारत ने इस सालकरोड़ की कटौती कर दी जो मालदीव केे लिए एक सदमे से कम नहीं क्ययों कि अपनी फितरत के अनुसार मालदीव को  कर्ज के जाल मे फंंसाने   के लिये चीन नेे  इतना कर्ज दे दिया   कि उसेे लौटाना मालदीव के लियेअसंभव है ।मालदीव ने चीन सेे आग्रह किया है माालदील के लिये कर्ज  अदायगी मे 5 वर्ष  का समय दीए जाय जिसे चीन ने मान लिया ।अब मालदीव को यह एहसास हो गया कि बगैर भारत के मालदीव का   जिन्दा रहना बहुत मुुुस्किल है ।               एक तथ्य यह भी है   कि अमेरिका मे दक्षिण एशिया के प्रभारी लू ने एक रिपोर्ट अमेरिका को दी है जिसमें कहा कि आने वाले समय मे मालदीव चीन का   एक उपनिवेश बन जाायेगा ।उसे रोका जाना चाहिए ।इन सब कारणों से ही मालदीव ने भारत   के साथ बातचीत और नजदीकियां बढानी शुरू कर दी । मोइज्जू को    एहसास हो गया कि उनका भविष्य चीन के साथ नही बल्कि भारत केे साथ है ।यही कारण है कि आज मालदीव चीन को दरकिनार करके भारत के पाले मेे आ खडा हुुुआ है।

 

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